Sunday, October 2, 2011

Secret of Happiness.

This is very spiritual time for us due to Shardiye Navratra. Today we are worshiping of Maa Katyaayani. Suddenly I was interested to writing something related to me, you and Happiness.

Lord Krishna has said In Bhagavad Gita , I come to solve your all problem, firstly come to me. You will find complete peace. You will find complete happiness.
In Ramacharitamanasa, Tulsidas jee also said that if you find pleasure , just get back to Lord Ram. Then you have happiness forever. There is no range of pleasures forever.
In Durga saptsati, Markandey jee also said to worship Maa Durga to get real peace and happiness.
In fact there are no matters which god we worship and in which we believe. But matter is to finding the complete happiness and complete peace to solve our all problem in the life. 
As our parent take care about us and fulfill all our requirement according to our necessity, in the same way god fulfill our requirements.
In reality our parent and the parent of our parent is God forever. But some one says where god is. We can’t see god then how to worship God.

Yes,may be he is right but following fact would be the right answer for them : We all know water is combination of Hydrogen and Oxygen. But can we see Oxygen and Hydrogen in water? But we can prove it in Lab. In the same way we know God is every where and forever but our eyes are unable to see. We have not “Divya Drishti” to see or search the God. There are so many facts and reality has been found today to prove it, but there is no need to prove it here.
We all know that God has made us. But due to our busy schedule of life we are forgetting him without thinking it about real pleasure. .
Where are we finding happiness, in our foods, in our dresses, listen to music, in good job, or any place that will get us happiness and lots? Think beyond this. : Where is happiness and complete peace?
We enjoy with favorite foods, dresses, and with lots things. After some time, We don’t like our favorite foods also when it is too enough. After some time, our mind also gets bored with favorite dress which we like and we choose another dress. We also bored with favorite musics and movies. After some time we try to change our job also and just think about many things like it.
But I didn’t listen that in real worship of God we feel boring. Try to connect our mind with spirituality of God. Then we find new fun and enjoy every moment that will never end. Long term peaces will be continue.
According to Ramayana, a crowd of people gathered to see Lord Rama , where he moved. Why? Bcoz. Their beauty was not limited to humans. It was god’s beauty.
The longer you try to think about God, we see the shining in their beauty and increasing their beauty . In fact we are not able to see from our eyes but we can feel it forever.
As his name is great, his stories are great, discussion about him is great, then what are we thinking in our mind? There is no anything hidden about god if we believe and want to know about him.
If Once he come in our heart, they never leave us. Keep him in our heart with pleasure. Just arrange our some time to devotion . Then there are know need to worry for complete happiness and peace for mind.
Jai Mata Di. Jai Sri Krishna, Jai Sri Ram.

Saturday, October 1, 2011

गांधी जयंती , हम और आप

कल, 2 अक्टूबर, गांधी जयंती है । इसी दिन हमारे पूर्वप्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मदिन है । ऐसे इस बार रवि वार होने के कारण बहुत लोग ज्यादा खुश नही होंगे। पर इस दिन की सरकारी छुट्टी प्रायः हर किसी को गांधी की याद तो दिला ही देती है । लेकिन शास्त्रीजी का भी यही जन्मदिन है यह बात शायद कम ही लोगों के ध्यान में आती है ।

गांधीजी की हर बात मुझे आज के लिए सही लगती है । शास्त्रीजी के बारे में बहुत नहीं पता है । उन्हें एक ईमानदार राजनेता एवं प्रधानमंत्री के तौर पर जानता हूँ बस। किंतु गांधीजी के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है।

पुरी तरह अहिंसा के मार्ग पर चलना आज समझ मे आता तो है लेकिन उसे अपने जीवन मे कैसे लाया जाये समझ मे नही आता ।

कुछ साल पहले जब मैं एक फिल्म "ळगे रहो मुन्ना" भाई देखा तो लगा शायद गांधी जी के अहिंसा के मार्ग पे हम आज भी चल सकते हैं. लेकिन आज कि परिस्थिति को देख कर नहि लगता कि ये इतना आसान हैं । शायद ये बाते सुन कर कितने लोग मुझे भला बुरा कहेंगे लेकिन जरा सोच के देखे तो वे खुद कितना पालन करते है उस अहिंसा के मार्ग का

अगर मै कहूँ कि गांधी जी को अपना आदर्श मानना आसान हैं लेकिन उनके आदर्शो का पालन करना कठिन हैं, तो ये मेरी बात कुछ ज्यादा नहीं होगी

Sunday, May 8, 2011

'मदर्स डे ' पर एक भावनात्मक सोच.....

आज मदर्स डे है....

साल में एक बार मदर्स डे के नाम पर मां के भावनाओ को नमन कर लेना हि 'मदर्स डे' का संदेश नही है. यह दिन तो हमे इस बात का एह्शास दिलाता है कि आज के भाग दौर कि जिंदगी में कितना समय है हम लोगो के पास अपने मां के लिये. एक छोटी सी झलक डालते है उन यादो पे जो कभी भी आप या हम भुल नही सकते...

हम अपने दुःख में और सुख में खोए रहते हैं. न तो मां का आँचल याद रहता है और न ही उनके ममता का वो सागर.

याद नहीं रहती हमे वो मां की थपकियां, जरा सा चोट लगे हमें तो मां की आंखों से झर झर
बहते आंसू. शहर से लौटने पर बिना पूछे वही बनाना जो पसंद हो. जाते समय
अनेको पकवान , खाने कि अनेको समाग्री , पोटलियों में डाल देना.

फोन पे जरा बद्ला आवाज सुन कर पुछ्ना क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है न?

देखे तो बोलती-- बहुत दुबला पतला हो गया , खाता नही है क्या?

मंदिर मे रोज प्राथना करती , मेरे बेटे को ठीक रखना प्रभु.

उस पे दया कर प्रभु. उसका ख्याल रख्न्ना प्रभु. उसका ख्याल रख्न्ना प्रभु.

और आज हम कित्ना ख्याल रख्ते है उस देवी का.

हमारे पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं है. हमारे बटुओं में सिर्फ़ झूठ है. गुस्सा है...अवसाद है... अपना बनावटी चिड़चिडापन है.

उनकी आँचल के गांठों में आज भी सुख है दुःख है और हम खोलने जाएं तो हमारे लिए आशीर्वाद के अलावा
वो सब खुशी जो मां के ममता से हमें मिलती है.

" मां तुम तो देवि हो. ..

तेरे आशीर्वाद की ही तो ये चमत्कार है जो हमे खुशी देती है हर पल.

जब भी मन दुखी होता तेरी ममता उस दुख को भी दुर कर देती है उस पल. "


Thursday, September 16, 2010

स्त्री शक्ति

हमारे समाज में स्त्री शक्ति का हमेशा पुजा होता है। दुर्गा पुजा , सरस्वती पुजा या लक्षमी पुजा इन सभी रुप मे हम स्त्री शक्ति का हि तो पुजा करते है। हम सब जानते है कि सीता के बिना राम, राधा के बिना श्याम और पार्वती के बिना शिव शक्ति भी अधुरे है। हमारे धर्म ग्रंथ भी तो यही कहानी दुहराते है।
हर सफल पुरुष के पीछे किसी स्त्री का हाथ होता है। कोई भी इंसान अपने जीवन में यूं ही सफल नहीं हो जाता। सफलता की कहानी बहुत लंबी और मुश्किलों से भरी होती है। जीवन के हर मोड पर आने वाली मुश्किलों को आसान करने के लिए प्रकृति ने स्त्री की रचना की। वह मां बन कर उसे अपने आंचल की छांव तले बारिश और धूप से बचाती है। इंसान पहली बार मां की उंगली थामकर ही चलना सीखता है। चलते हुए जब भी गिरता है, मां आगे बढकर उसे थाम लेती है। इसके बाद जब वह युवावस्था में प्रवेश करता है तो उसकी पत्नी जीवन के सफर में न केवल उसकी हमकदम बन कर साथ चलती है, बल्कि उसे जिंदगी जीने का तरीका भी सिखाती है।

Some photos of Jnan (Gyan) prakash.


























Today (25 may 2011), when the matriculation result 2011 was declared, I saw result of some students. After some time suddenly my heart cried for you, because you were also in class 10 when you went from the earth. I can understand my situation. If you are here then today is also a remembrance day for you and us. But god didn't want to let see us that moment. Where are you? We don't know. We know, you are outside of this world. But I know that you are always in my heart.
""Kaas tum hote gyannnnn. "".


Today is 2 july 2011. Before 1 year ........

Wednesday, September 8, 2010

ज्ञान प्रकाश की यादें ......

मेरा भाई ज्ञान प्रकाश जो अब हम लोगो के साथ नहीं है। १६ दिसम्बर १९९५ से २ जुलाई २०१० तक उसका साथ था। उसका प्यारा साथ, बचपन की शरारते, रूठना मानना फिर ज्ञान जी, ज्ञान , बहुत सारे नामो से पुकार के उसको बुलाना। जब वो था तब कभी हमलोगों ने नही सोचा होगा की हम सब का साथ छोड़ के ये बहुत पहले ही चला जायेगा।
आज इस दुनिया में सब कुछ तो है, मगर उसकी एक झलक नही मिल सकती। उसके वो आवाज नही मिल पाएंगे। मै चाहता हू उसकी एक आवाज सुनु बड़का भैया हो.मगर मै जनता हू की मेरी ये तमन्ना पूरी नही हो सकती फिर भी पता नही क्यों ये दिल कहता है मेरा भाई ज्ञान जी अभी जिन्दा है।
पता नही क्यों उसके नाम के बाद सबलोग 'जी' लगा के बोलते थे। कितना ख़ुशी होती थी हमलोगों को और पता नही कितना खुश होता था वो अपने नाम में 'जी ' सुनकर।
१ जुलाई की रात जब मै उसके साथ रिसेप्सन में गया तो हमदोनो कितना खुश थे। क्या पता था उसको या हमसब को की वो ख़ुशी की रात उसके जीवन का अंतिम रात था।
२ जुलाई की संध्या हमारे घर के लिए अँधेरी संध्या और मेरे उस भाई के लिए मौत की संध्या बन के आई। हँसता खेलता मेरा भाई हमसब को छोड़ के चला गया। और हमसब कुछ भी तो नही कर सके। पहली बार मैंने ये देखा की कैसे किसी के जाने का समय हो जाता है तो बिना किसी कारन के उसके मौत का कारन बनता है और ये कहावत साबित हो जाता है की " ठेस लगके मौत हो जाती है." । मेरी माँ , मेरे पापा , और हम चारों भाई कितना खुश थे अपने पुरे परिवार के साथ। किसी व् चीज की कमी तो नही थी हमलोगों को। लेकिन शायद ये ख़ुशी उस निर्दयी भगवान से देखा न गया और उन्होंने मेरे घर से उस भोले बच्चे जो की अभी अपने बाल अवस्था से मुक्त होकर किशोरावस्था में प्रवेश किया था। लेकिन किशोरावस्था में ही उसको इस जीवन से मुक्ति मिल गयी।
मोबाइल फ़ोन से उसकी मुझसे अंतिम बार बात हुई थी २ जुलाई २०१० को ही दिन में १२.४५ में, जब वो मुझे फ़ोन करके पूछा था कहाँ हैं भैया। मै उस समय घर से पकरीदयाल घर पे आ रहा था.। और ऐसे तो सामने में उससे बाते उसके जाने के लगभग ३० मिनट पहले तक हुई ही थी। लेकिन बस उस दिन के बाद मै सिर्फ ३ भाई ही रह गया। ये दुखद पल शायद जिन्दगी में कभी नही भूल पाउँगा। २ जुलाई को वो इस भूलोक से हमेशा केलिए चला गया और हमसब को रोने और सिर्फ याद करने के लिए अपनी यादे छोड़ गया।
उसके कुछ ही दिन बाद यानि २३ जुलाई से मेरा ५वे सेमेस्टर का परीक्षा भी था। वो परीक्षा के के दिनभी मै नही भूल पाउँगा जब मै किताबे पढने बैठता तो कैसी मनोदशा होती थी। लेकिन परीक्षा में मेरी वो पहले के पढ़े हुए और क्लास में पढ़े हुए topics काम आये। मै संतुस्थ था अपने परीक्षा से। जैसा पेपर्स गया उससे ज्यादा की चाहत भी नही हुई मेरी.....
फिर ६ सितम्बर को मेरा २२ वाँ जन्मदिन फिर उस रात यानि ७ सितम्बर के १२:१५ पू० में जब मेरा रिजल्ट आया तो उम्मीद से लगभग ३० मार्क्स आधिक मिला। ८१.१ % मार्क्स पाने के बाद और अपने क्लास में सर्वोच मार्क्स पाने के बाद फिर से ख्याल आया की 'काश तुम आज होते ज्ञान.............' ।
"
और मेरी ये सफलता , मै समर्पित करता हू अपने उस स्व भाई ज्ञान प्रकाश को."
ये ख्याल की 'काश तुम आज होते ज्ञान..' कभी -कभी ही नहि ये तो हमेशा आती है और आती रहेगी . लेकिन ये मनुष्य का जीवन ही ऐसा है .........
" कुछ कर नही सकते हो जीते जाओ , जिन्दगी के खेल खेलते जाओ॥
क्या होगा कुछ पता नही , बस अपने कर्मो को करते जाओ. ॥ "।

Friday, May 7, 2010

भारत बंद का दुषप्रभाव‏

कभी भारत बंद कभी बिहार बंद, फिर परिणाम क्या होता है हम सब जानते हैं. ये विपक्षी नेतागण कभी सोचते हैं उन विद्यार्थियो के बारे में जिनका परीक्षा रद्द कर दिया जाता हैं बंदी के कारण. कभी सोचते है ये लोग कि भारत बंद के कारण. स्कूल , कॉलेज , अस्पताल , बैंक इन सब के बंद हो जाने से कैसा असर पड़्ता है हमारे समाज पर. यात्रा के दौरान परेशानी, दुकानो के बंद होने के कारण परेशानी, इन सब से क्या मतलब है उन्हे. ये सोचने कि बात है कि बंद के कारण क्या बितता है वैसे परिवार पे जो दिन भर मजदूरी करके उसी रुप्या से रात मे खाना खाता है. लेकिन हमारे नेतागण तो सिर्फ राजनिति के पाठ पढे होते है. उन्हे ये कौन बताये कि किसी भी समस्या का समाधान राज्य या देश को बंद करवा कर नही होता है. अपने मांगो को दुसरे ढंग से भी पुरा करवाया जा सकता है.