Tuesday, April 13, 2010

Dowry an evil

दिन प्रतिदिन सुनने मे आ रहा है दहेज के लिये नवविवाहिता कि हत्या कर दी गई. आखिर कितना बदल गया इंसान, जानवर कि तरह रुपये और दौलत से इंसानियत खरिदा और बेचा जा रहा है. अक्सर हम भुल जाते है कि अगर हमारा समाज इसी तरह दहेज के लिये नवविवाहिता को यातना देता रहे, लड़्की के जन्म पर उसे बोझ समझे तो वो दिन दूर नहि जब लड़्को के शादि के लिये लड़्की मिलेंगे ही नहीं. शादी मे बिना मांगे जो उपहार या रुप्या लड़्की के घर वाले लड़्के को देते है वो ज्यादा सुखद होता है फिर भी हम अपने झुठे प्रतिष्ठा के लिये और लालच मे इस समाजिक बुराई को बढ़ावा देते है. आज जरुरत है समाज मे आगे आकर इस बुराई को मिटाने का प्रयास किया जाये. इसके लिये हमसब को इस गंभीर समस्या पे विचार करना होगा तथा अपने समाज, सरकार और समाचार पत्र के माध्यम से दहेज प्रथा को पुरी तरह से बंद करना होगा, तभी हम फिर से नारी शक्ति को पह्चान पायेंगे.

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